18 वी सदी मे भारत कैसा था ॥ India in 1800

18 वी सदी मे भारत कैसा था

18 वी सदी मे भारत कैसा था : अगर अंग्रेजों के भारत आने की बात करे तो उन्होंने 16वी शताब्दी मे ही भारत मे दस्तक दे दी थी आपको जानकार हैरानी होगी की जब शहजहा ताजमहल बना रहा था तब दूसरी तरफ अंग्रेज भारत मे पैर पसारने की कोशिश कर रहे थे इसके बाद भारत मे छोटे बड़े कई राजाओ के अलावा दो बड़ी ताकते बची थी एक थी औरंगजेब की मुगल सल्तनत और दूसरी थी मराठा साम्राज्य।  

अंग्रेजों ने इंतजार किया की ये दोनों आपस मे लड़े और अंग्रेजो ने इसके कई प्रयत्न भी कीये और इसके सालो बाद अंग्रेज धीरे धीरे विविध जगहों पर भारत मे सत्ता मे आने लगे और उनकी ये मंशा कामयाब होने मे 100 साल से ज्यादा लग गए और ऐसे साल आया 1800 का तो चलिए दोस्तों आज के इस आर्टिकल मे हम जानते है की सन 1800 मे भारत कैसा था। 

India in 1800
18 वी सदी मे भारत कैसा था


18 वी सदी का पहनावा 

दोस्तों इस समय भारत या दुनिया को कोई ज्यादा टेक्नॉलजी नहीं हुआ करती थी हमारे यहा अधिकाश लोग धोती और गमछा पहना करते थे और बहुत ही आमिर लोग कुर्ता पहना करते थे बाद मे अंग्रेजो की शर्ट और टी शर्ट को भी कुर्ता ही कहा जाने लगा आज भी अगर आप उत्तर प्रदेश या बिहार मे जाए तो आपको वहा के अधिकाश बुजुर्ग आपको धोती कुर्ता पहने हुए मिलेगे। 

18 वी सदी मे भारत कितना बड़ा था 

उस समय ज्यादातर जगहों पर भीड़ भाड़ नही हुआ कारती थी पूरे भारत मे करीब 16 करोड़ लोग ही थे और यहा पर पूरा भारत ही यानी की अखंड भारत जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश,म्यांमार और अफगानिस्तान से मिलकर बना था यानि की आज के इन 5 देशों के विस्तार मे सिर्फ 16 करोड़ लोग ही रहा करते थे। 

18 सदी के लोगों का प्रोफेशन 

उस समय भारत मे बहुत ज्यादा प्रफेशन नहीं हुआ करता था अधिकांश लोग तो किसान ही हुआ करते थे जो पूरा दिन खेती बाड़ी और पशुपालन करते थे और शाम को अपने घरों मे आकार भजन कीर्तन करते थे और रात मे जल्दी जल्दी सो जाते थे और सुबह फिर से जल्दी उठ जाते थे यही ज्यादातर भारतवासियों का नित्य क्रम हुआ करता था तब लाइट नहीं थी इसलिए शाम को भजन कीर्तन करने मे बाधा ना आए इसलिए दिए जलाए जाते थे कुछ लोग दूसरे कामों को भी संभालते थे जैसे की कुम्हार, धोबी, सुतार, सोनी ये सब लेकिन जब इनका भी दिन खत्म हो जाता था तो शाम को ये भी यही नित्य क्रम अपनाते थे 

ये तो हुई गाँव की बात और उस समय इतने गाँव थे की ये भारत को रेप्रिज़ेन्ट करते थे उस समय घर बहुत कम हुआ करते थे और शहरों की बात करे तो ज्यादातर लोग मीलों मे काम या मजदूरी किया करते थे उस समय लोगों का काम बहुत मेहनत का काम हुआ करता था क्युकी उस समय ना तो बिजली थी और न ही आज की कोई आधुनिक टेक्नॉलजी 

भारत मे बिजली का आगमन 

भारत मे बिजली सन 1880 मे आई और इस साल मे भारत मे बिजली की शुरुआत हुई लेकिन भारत के गाँव गाँव मे पहुचने मे और भी कई साल लग गए। 

18 वी सदी मे लोगों की तनख्वाह 

एक डेटा के अनुसार सन 1800 के आसपास एक युरोपियन क्लर्क की सैलरी 40 पाउंड थी और एक आम भारतीय की तनख्वाह 40 गुना कम थी और दोस्तों इससे आप ये अंदाजा लगा सकते है की भारतीय किसानों की क्या आय रही होगी ऊपर से हर साल किसान बाढ़ सूखे और लगान की मार झेलते थे । 

दोस्तों उस समय कुछ अमिर तमक्का हुआ करता था जिसमे से कुछ लोग हमेशा इस फिराक मे रहा करते थे की कैसे भी करके अंग्रेज से उनकी दोस्ती हो जाए और कुछ आमिर लोग अपनी सूझ बुझ और स्किल के माध्यम से ठीक ठाक पैसे कमा लेते थे। 

18 सदी मे बीमारिया 

आज के समय मे बीमारिया बहुत आम हो गई है और उस व्यक्त भी कई बीमारिया मौजूद थी तब कालरा और फ़्लेग आम बात थी और तब बीमारियों की कोई दवाई भी नहीं थी और इनके सामने लोग बेबस थे और अधिकतम दिक्कत प्रसव मे होती थी और जानकारी के अभाव के कारन कई महिलाओ को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता था और इसके कारण कई सारे बचचे की भी जिंदगी चली जाती थी 

18 वी सदी के अमीर 

और अगर बात करे उस व्यक्त के चुनिंदा लोगों की जिसे खुश कह सकते है और वो भी जो किसी अच्छे राज्य मे हुआ करते थे या तो आमिर थे लेकिन ज्यादातर लोग तो गरीबी और बदहाली की जिंदगी ही काट रहे थे 

18 वी सदी मे शिक्षा 

अगर शिक्षा की बात करे तो 10% भारतीय लोग ही पढे लिखे थे और 1% से भी कम महिलाये और ये आकड़ा शहरों का ही है और गाँव मे तो इससे भी बदतर हालत थी पर ऐसा नहीं था की ना पढे लिखे हुए लोग किसी काम के नहीं थे वो लोग कुशल भी थे और कई कामों मे माहिर भी थे लेकिन कम पढे लिखे होने के कारण लगान जैसी चीजों पर डील नहीं कर पाते थे 

एक्सचेंज प्रणाली 

भारत के लोग उस व्यक्त पैसे से कोई चीज नहीं खरीदते थे बल्कि एक्सचेंज मे यकीन करते थे जैसे एक मटके के बदले 5 किलो चावल या 10 किलो आंटे के बदले 5 किलो दाल ज्यादातर गाँव मे यही व्यवहार होता था चीजों के बदले चीजे दे दी जाती थी और ऐसे गाँव मे सभी लोगों के पास सब कुछ पहुच जाया करता था और खासकर गाँव से अनाज बाहर बेचने भी नहीं जाया करता था। 

निष्कर्ष 

तो दोस्तों 18 वी शताब्दी का भारत कुछ ऐसा था उस समय कुछ चीजे अच्छी थी तो कुछ बहुत ही खराब और ऐसा लगभग हर समय मे होता है हर समय कुछ पाज़िटिव तो कुछ नेगटिव ही पाए जाते है तो आपको कैसा लगा उस व्यक्त का भारत और अगर आप 19 वी शदी के भारत के भारत के बारे मे भी जानना चाहते है तो हमे कमेंट करे ।



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