इस्लाम धर्म का इतिहास और रोचक तथ्य || History and interesting facts of Islam religion


इस्लाम धर्म का इतिहास और रोचक तथ्य || History and interesting facts of Islam religion




इस्लाम धर्म का इतिहास

इस्लाम धर्म का इतिहास



इस्लाम धर्म का मतलब (Meaning of Islam religion)

दोस्तों इस्लाम धर्म का तात्पर्य है विनम्रता, पवित्रता या शक्ति में प्रवेश करना और इस धर्म को मानने वालो को मुसलमान कहते है और मुसलमान का अर्थ होता है (मुसल्लम + ईमान) अर्थात जिसका इमान पुख्ता हो |


इस्लाम धर्म के प्रवर्तक (Preacher of Islam)

इस्लाम धर्म के प्रवर्तक मुहम्मद साहब थे


मुहम्मद साहब का परिवार (Muhammad's family)

इनके पिता का नाम अब्दुल्ला और माता का नाम अमीना था इनके चाचा अबुतालिब थे इनके दादा का नाम अल्मुताल्लिब था इनकी पत्नी का नाम खदीजा और बेटी का नाम फातिमा और दामाद का नाम अली था और इनके बेटे का नाम इस्माइल था

 

इस्लाम धर्म के महत्वपूर्ण वर्ष और कार्य (Important Years and Functions of Islam)


  • 570AD में मुहम्मद साहब का जन्म मक्का में हुआ था जिसे आज हम सऊदी अरब के नाम से जानते है
  • 610AD में मुहम्मद साहब को हिरा पहाड़ी में खुदा का सन्देश मिला था
  • 622AD में मुहम्मद साहब के मक्का से मदीना जाने के उपलक्ष्य में हिजरी संवत की शुरवात हुई
  • 632AD में मुहम्मद साहब का इंतकाल हो गया

 

इस्लाम धर्म का इतिहास (History of Islam)

7वी शताब्दी में सऊदी अरब में इस्लाम नामक एक नए धर्म का उदय हुआ तथा शीघ्र ही इसका विस्तार उत्तरी अफ्रीका से अरब प्रयाद्वीप तथा ईरान और भारत तक हुआ इस्लाम एक ही ईश्वर की उपासना पर जोर देता है और वो है अल्लाह और इनकी पवित्र पुस्तक है कुरान

 

इस्लाम को मानने वालो के नियम (Rules of Islam)

कुरान में बताया गया है की इस्लाम धर्म को मानने वाले प्रत्येक मुस्लिम को दिन में 5 बार नमाज पढने को कहा गया है रमजान माह में रोजे रखना, दान करना तथा मुमकिन हो तो मक्का (सऊदी अरब) की तीर्थ यात्रा करने को कहा गया है

 

मुहम्मद साहब के इंतकाल के बाद का इस्लाम (Islam after the death of Muhammad)

मुहम्मद साहब के इंतकाल के बाद मुस्लिमो को राजनितिक तथा धार्मिक नेतृत्व प्रदान करने की जिम्मेदारी मुहम्मद साहब के नजदीकि बन्दों को दिया गया जो अंततः खलीफा कहलाये

समय के साथ खलीफा एक धार्मिक राजनितिक पद बन गया जिसका संचालन इस्लामिक सम्राज्य करता था

632ई से 661ई तक के खलीफा थे – अबुबक, उमर, अली

 

शिया और सुन्नी में मतभेद (Differences between Shia and Sunni)

पैगम्बर मुहम्मद के बाद खलीफा बनने को लेकर शिया और सुन्नी में फुट पड़ गयी

सुन्नी

सुन्नी लोगो का मनना था की पैगम्बर मुहम्मद का कोई भी उपयुक्त अनुयायी खलीफा बन सकता था सुन्नी ने पैगम्बर मोहम्मद के सहयोगी अबू वक्र को पहला खलीफा बनाया गया तथा उमर को दूसरा खलीफा बनाया गया

शिया

शिया लोगो को मनना था की पैगम्बर का कोई रिश्तेदार ही खलीफा होना चाहिए उनकी नजर में पैगम्बर के दामाद अली ही खलीफा बनने के योग्य थे

और इसी आपसी झगडे की वजह से अली की हत्या करा दी गयी और अली की हत्या के बाद उनके प्रतिध्वन्धी मुहम्मद वैयाह ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में उमैय्यद खलीफा की स्थापना हुई

उमैय्यद खलीफा (661-705ई) तक खलीफा बने रहे अंततः अबू खलीफाओ ने उमैय्यद खलीफाओ को सत्ता से हटा दिया

 

और इसी कारण आज भी सिया और शुन्नी समुदाय के बीच मतभेद उत्पन्न है

 

निष्कर्ष (Conclusion)

दोस्तों कोई भी धर्म हो वह हमें हिंसा करना कभी नही सिखाता और ऐसे ही इस्लाम धर्म भी था क्युकी इस्लाम धर्म का मतलब ही विनम्रता, पवित्रता या शक्ति में प्रवेश करना होता है लेकिन मुहम्मद साहब के इंतकाल के बाद इस्लाम धर्म सिर्फ एक खलीफा की गद्दी के लिए धार्मिक न होकर राजनितिक बन चूका था और जैसे ही सुन्नी समुदाय के हाथ में खलीफा की गद्दी आई ये सब मिलकर हिंसा का रास्ता अपनाने लगे जैसे की गैर मुस्लिमो  लोगो को जबरदस्ती इस्लाम धर्म कबुल करवाना लुटपाट हत्या जैसी घटनाये बहुत तेजी से होने लगी

 

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