माइक्रोसॉफ्ट की शुरुवात कैसे हुई || How did Microsoft get started?
नमस्कार दोस्तों मै हु हर्षित मिश्र और आप देख रहे है Hindipidiaa और आज हम आपको बतायेगे की माइक्रोसॉफ्ट की शुरुवात कैसे हुई || How did Microsoft get started? और आज हम इसी के बारे में पूरी जानकारी आपको बताने वाले है
वैसे एक बात बताइए क्या आपको भी सपने
देखना पसंद है अगर हाँ तो आइए आज आपको दो दोस्तों के ऐसे ही सपने की कहानी सुनाते
है दो कॉलेज ड्रॉप आउट दोस्तों ने खुली आँखों से एक सपना देखा की हर ऑफिस की डेस्क
पर और हर घर मे एक पर्सनल कंप्युटर की पहुच बनाई जाए और फिर अपने इस सपने को पूरा
करने मे जी जान लगा दी और फिर उनकी मेहनत पक्के इरादे और जुनून ने माइक्रोसॉफ्ट
जैसे टॉप टेक कंपनी खड़ी कर दी हाँ बिल्कुल माइक्रोसॉफ्ट जिसने अपनी पहचान कुछ इस
कदर बनाई की कंप्यूटरों का दूसरा नाम ही माइक्रोसॉफ्ट हो गया और देखते ही देखते ये
कंपनी ऐसे बुलंदियों तक पहुची की ये सोच पाना मुश्किल हो गया की अगर टेक वर्ल्ड मे
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी नही होती तो क्या होता
माइक्रोसॉफ्ट की शुरुवात कैसे हुई |
तो ये आप जरूर जानते होंगे की माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन एक अमेरिकन मल्टीनैशनल टेक्नॉलजी कंपनी है जो कंप्युटर सॉफ्टवेयर कंजूमर
इलेक्ट्रॉनिक पर्सनल कंप्युटर और रिलेटेड सर्विस
produce करती है ये कंपनी कंप्युटर सॉफ्टवेयर और
हार्डवेयर की मैन्यफैक्चरिंग और सेलिंग मे speculation रखती
है लेकिन इस कंपनी ने इतना बड़ा मुकाम कैसे पाया इसके फाउन्डर कौन थे और वो एक छोटे से स्टार्ट उप को इस
पोज़िशन तक कैसे ला पाए इस कंपनी की Success और failure ये सब
जानने से पहले माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के बारे मे कुछ खास बातें जाननी तो बनती है
माइक्रोसॉफ्ट वर्ल्ड की लीडिंग टेक्नॉलजी कॉम्पनीस मे से एक है जिसके प्रोडक्टस मे विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम ऑफिस प्रोडक्टिविटी applications और Azure Claud सर्विसेज़ शामिल है माइक्रोसॉफ्ट का एक्स बॉक्स गेमिंग सिस्टम भी बहुत फेमस है Linkdin, Github, Skype टेक्नोलॉजीस जैसी बहुत सारी कॉम्पनीस माइक्रोसॉफ्ट की सब्सिडी कॉम्पनीस रही है और बिंग इसका सर्च इंजन है
माइक्रोसॉफ्ट का मुख्यालय
माइक्रोसॉफ्ट का मुख्यालय है रेडमंड वाशिंगटन मे है और 96 देशो मे इसकी 177 ऑफिस लोकेशन मौजूद है
भारत में मौजूद माइक्रोसॉफ्ट का ऑफिस
इंडिया मे माइक्रोसॉफ्ट का मुख्यालय हैदराबाद मे है और अहमदाबाद, बैंगलोर,चेन्नई मुंबई और नोएडा सहित 11 शहरों मे इसके ऑफिस मौजूद है
साल 2021 मे इस कंपनी की नेट वर्थ 1 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा है
जो इसे वर्ल्ड की वेयलथिएस्ट कम्पनीस मे से एक बनाती है माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के
वर्ल्ड वाइड फुल टाइम कर्मचारी लगभग 163000 है और माइक्रोसॉफ्ट का हर कर्मचारी सॉफ्टी
कहलाता है कूल नाम है ना सॉफ्टी वेल इस कंपनी का मिशन इस प्लानेट पर मौजूद हर
पर्सन और हर संगठन को एम्पाउअर करने का है और इसकी स्ट्रैटिजी है की इसे मोबाइल
फर्स्ट क्लाउड फर्स्ट वर्ल्ड के लिए बेस्ट प्लेटफॉर्म और प्रोडक्टिविटी सर्विसेज़
बिल्ड कर सके माइक्रोसॉफ्ट के कस्टमर्स इसके कन्सूमर और छोटे बिजनेस के साथ साथ
वर्ल्ड की Biggest कॉम्पनीस और गवर्नमेंट एजेन्सीस भी है और इस कंपनी का रेवेनऊ US
और बाकी देशो मे एकुआली डिस्ट्रिब्युटेड है बाकी टेक कॉम्पनीस की तुलना मे
माइक्रोसॉफ्ट मे इनोवेट करने की जो अबिलिटी रही उसी का रिजल्ट रही एमएस डॉस विंडोज़
ऑपरेटिंग सिस्टम माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस इंटरनेट इक्स्प्लोरर और द सर्फेस
माइक्रोसॉफ्ट टेक्नॉलजी मे इतनी आधुनिक
कंपनी रही है ये इस बात से साबित होता है की 1994 मे पहली स्मार्ट वाच
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने ही बनाई थी लेकिन उस वक्त मार्केट इसके लिए तैयार नहीं था
इसीलिए ये प्रोडक्ट सक्सेस्फुल नहीं हो सका इतना ही नहीं जिस टैबलेट कंप्युटर के
लिए एप्पल को इतनी पॉपुलरटी मिली है उस टैबलेट कंप्युटर का इन्वेन्शन भी
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने 2001 मे किया था लेकिन उस भी मार्केट का सपोर्ट नहीं मिल
पाया लेकिन फिर भी इनोवटीऑन और माइक्रोसॉफ्ट साथ साथ चलते रहे
माइक्रोसॉफ्ट कंप्युटर हार्डवेयर और
सॉफ्टवेयर दोनों के बिसनेस मे इन्वाल्व है इसलिए उसे कई बिगस्ट टेक जायेंस जैसे की
गूगल आईबीएम एप्पल ऑरिकल और सोनी के साथ काम्पिटिशन का भी सामना करना पड़ा इस कंपनी
की मार्केट वैल्यू कितनी ज्यादा है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की अगर
किसी ने 1986 मे माइक्रोसॉफ्ट आईपीओ के दौरान माइक्रोसॉफ्ट शेयर मे 1000 डॉलर इन्वेस्ट
कीये होंगे तो आज वो पर्सन अपने शेयरस को 1.6 मिलियन डॉलर्स से भी ज्यादा मे बेच
सकता है काश वो इंसान मै होता खैर अब जान लेते है माइक्रोसॉफ्ट कंपनी बनने की
कहानी और उतार चढ़ाओ से भरी इसके लंबे सफर के बारे मे
माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर कौन है
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ट्रापो डाटा कंपनी का पर्पस था Road
way trafic से राव डाटा को रीड करना और ट्राफिक इंजीनियर के लिए रिपोर्ट्स तैयार
करना इस कंपनी की बस शुरुवात सफलता ही मिल पाई थी लेकिन इस बिजनेस की बदौलत बिल और
एलेन को माइक्रो परोकेससेर को समझने मे काफी हेल्प मिली और ये knowledge उनके फ्यूचर सकसेस यानि माइक्रोसॉफ्ट के लिए
बेहद जरूरी भी थी इस फेलियर के बाद इतनी बड़ी सोच रख पाना की माइक्रोसॉफ्ट जैसी
कंपनी खड़ी की जाए काफी मुश्किल रहा होगा आपको क्या लगता है लेकिन जिसके पास जुनून
है उसे अपने फेलियरस को गिनते रहने के बजाय शायद सक्सेस की सीढ़ियाँ चढ़ते रहने मे
ज्यादा इन्टरेस्ट होता होगा है न
तभी तो ज्यादा वक्त लिए बिना उन दोनों
दोस्तों ने मिल कर के MITS कंपनी के लिए काम किया जो अलटेयर8800 बनाती थी ये पहले
कमर्शियल माइक्रो कंप्युटर थी यानि पर्सनल कंप्युटर जिसके लिए उन्होंने एक नई
प्रोग्रामिंग लैंग्वेज बेसिक डेवलप की और ये opportunity लेने के लिए उन दोनों पार्टनर्स
ने MITS कंपनी से ये झूठ भी कहा की उनके पास ऑलरेडी बेसिक का वर्ज़न है जबकी तब तक
उन्होंने उस सॉफ्टवेयर को लिखा तक नहीं था लेकिन जब दो महीने बाद दोनों पार्टनर MITS
कंपनी से मिले तो उनकी पप्रोग्रामिंग लैंग्वेज तैयार थी और MITS को वो सॉफ्टवेयर
सेल करने के बाद दोनों इस कंपनी के साथ साल 1975 की एन्डिंग तक वर्क करते रहे और
साथ साथ अपनी पार्ट्नर्शिप को यानि माइक्रोसॉफ्ट को को भी आकार देते रहे और फिर
4 अप्रैल 1975 को अलबुकर के न्यू Mexico
मे माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की शुरुवात की कंपनी का ये नया नाम माइक्रो
कंप्युटरस और सॉफ्टवेर से मिलकर के माइक्रोसॉफ्ट बना है
माइक्रोसॉफ्ट के लिए संघर्ष
इस कंपनी को शुरू करने के लिए गेट्स
और एलेन दोनों ने अपना अपना कॉलेज ड्रॉप कर दिया और दोनों यंग कॉलेज ड्रॉप ऑउटस ने
अपने छोटी कंप्युटर कंपनी शुरू की वैसे बिल गेट्स और माइक्रोसॉफ्ट की सक्सेस को
देख करके तो यही सोच जाता है की बेल गेट्स इस फील्ड मे इस एरिया मे सक्सेस पाने को
लेकर के काफी कॉन्फिडेंट रहे होंगे तभी तो उन्हे और उनकी कंपनी को इतनी ज्यादा
सकसेस मिली होगी लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था
क्यूंकी बिल गेट्स के बचपन का ज्यादातर
टाइम भले कंप्युटर के सामने ही गुजरा लेकिन माइक्रोसॉफ्ट जैसी कोई टेक कंपनी खड़ी
करने का उनका कोई ईरदा नहीं था बल्कि वो तो मैथमैटिक्स का प्रोफेससेर बनने का
प्लान बना रहे थे क्युकी उन्हे मैथ्स की टफ प्रॉब्लेम्स को सॉल्वे करने मे बहुत
मज़ा आता था लेकिन उनके ओल्ड फ़्रेंड्स और फ्यूचर बिजनेस पार्टनर पॉल एलेन ने उन्हे
अपने कॉमफ़र्ट ज़ोन से बाहर निकलने का challenge दिया और कंप्युटर प्रोग्रामिंग को सिरियसली लेने के लिए मना भी लिया
लेकिन गेट्स काफी टाइम तक सेल्फ डाउट
मे रहे और जब माइक्रोसॉफ्ट को 1980 मे सकसेस मिली तभी बिल गेट्स के लिए खुद पर यकींन कर पाना असान नहीं था
बल्कि वो तो बहुत डरे हुए थे और ये सोच नहीं पाए थे की माइक्रोसॉफ्ट एक बिंग कंपनी
बन सकती है लेकिन जब माइक्रोसॉफ्ट ने रफ्तार पकड़नी शुरू की तो अगस्त 1977 मे कंपनी
ने अपना पहला इंटरनेशनल ऑफिस जापान मे ओपन किया जिसे ESCII माइक्रोसॉफ्ट नाम दिया
गया और 1979 मे बिल गेट्स और एलेन ने माइक्रोसॉफ्ट को CTRL मे शिफ्ट कर दिया
माइक्रोसॉफ्ट का पहला ऑपरेटिंग सिस्टम
और फिर 1980 के दौर मे वक्त आया पर्सनल कंप्युटर का इस टाइम
आईबीएम ने अपने पहले पर्सनल कंप्युटर आईबीएम पीसी से माइक्रोसॉफ्ट से ऑपरेटिंग
सिस्टम बनाने को कहा तब माइक्रोसॉफ्ट ने किसी दूसरी कम्पनी से ऑपरेटिंग सिस्टम
पर्चेज किया उसे मॉडिफाई किया और उसका नया नाम एमएस डॉस रख दिया और एमएस डॉस 1981 मे
आईबीएम पीसी के साथ रिलीज हुआ जिसे पीसी डॉस कहा गया और उसके बाद पर्सनल कॉमपुटर्स
के ज्यादातर मैन्यफैक्चरर ने एमएस डॉस को अपने ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप मे लाइसेंस करवा
लिया जिससे माइक्रोसॉफ्ट के लिए ढेर सारा रेवेनऊ जनरेट हुआ और ये पीसी डॉस
माइक्रोसॉफ्ट का पहला सबसे बड़ा प्रोडक्ट साबित हुआ और
उसके अगले साल लॉन्च हुआ माइक्रोसॉफ्ट
का पहला ऑपरेटिंग सिस्टम जैनिक्स और जब 1985 मे विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च हुआ
तो इस ऑपरेटिंग सिस्टम ने बहुत जल्दी ही पर्सनल कंप्युटर मार्केट को डोमिनेट कर
लिया और अब approximately 90% पीसी पर विंडोज़
का ही कोई वर्ज़न रन कर रहा है वैसे कभी या अभी हो सकता है आपके पीसी मे भी विंडोज़
ही हो इस तरह इक्रोसॉफ्ट ने ऑपरेटिंग सिस्टम मार्किट में काफी सकसेस हासिल कर ली
थी लेकिन 1985 तक इस कम्पनी ने कोई भी एक्सीलेन्ट app नहीं
प्रडूस किया था और जब कंपनी 1985 मे MS Excel लाई तो ये app
सुपर सकसेसफुल रहा
1995 मे लॉन्च हुआ इंटरनेट
इक्स्प्लोरर इंटरनेट इक्सेस के मोस्ट पोपुलर टूल्स मे से एक बन गया माइक्रोसॉफ्ट
सकसेस की सीढ़ियाँ चढ़ता रहा लेकिन बिल गेट्स और पॉल एलेन की पार्ट्नर्शिप उस टाइम
ब्रेक हो गई जब एलेन ने बीमारी के चलते 1983 मे माइक्रोसॉफ्ट छोड़ दिया लेकिन गेट्स
और माइक्रोसॉफ्ट का साथ काफी लंबा चला साल 1986 मे माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ सिस्टम के रिलीज के बाद 31
की उम्र मे गेट्स बिल्यनेर भी बन गए
एप्पल VS माइक्रोसॉफ्ट
माइक्रोसॉफ्ट की हिस्ट्री मे एक बहुत इम्पॉर्टन्ट चैप्टर एप्पल का है आज एप्पल वर्ल्ड की मोस्ट सकसेसफुल बिसनेस्स मे से एक है और माइक्रोसॉफ्ट की स्ट्रॉंग कॉम्पटीटर भी है इनके बीच का काम्पिटिशन कान्फ्लिक्ट और राइबरली काफी लंबे टाइम तक चली लेकिन जब 1997 मे एप्पल पूरी तरह से बैंकक्रप्ट डिकलेयर हो गई तब उसका हाथ गेट्स ने ही थामा एप्पल मे इन्वेस्ट करने का मतलब था अपने सबसे बड़े कॉम्पटीटर को आगे बढ़ाना
लेकिन बिल गेट्स ने एप्पल कंप्युटर मे
एक सौ पचास मिलियन डॉलर इन्वेस्ट करके नॉन वोटिंग शेयर खरीदे और यहा तक की पाच साल
के लिए माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के फ्री इक्सेस का ऑफर भी दे दिया इसी इनवेस्टमेंट ने
एप्पल के लिए लाइफ्लाइन का काम किया बिल गेट्स के इस डिसिशन को बहुत ही आलोचना किया
गया क्यूंकी अपने कॉमपीटेटर की मदद कौन करता है
माइक्रोसॉफ्ट ने एप्पल की मदद क्यों की
लेकिन एप्पल की हेल्प करने के लिए
गेट्स के पास एक स्ट्रॉंग रीज़न था उस टाइम मे माइक्रोसॉफ्ट US गवर्मेंट के साथ
लीगल ट्रबल मे थी क्यूंकी माइक्रोसॉफ्ट ने कंप्युटर ऑपरेटिंग सिस्टम मार्केट मे
नुकसान पहुचा रही थी और दूसरी कॉम्पनीस को ग्रोव करने का चांस नहीं मिल पा रहा था
तो ऐसे मे माइक्रोसॉफ्ट की इस मोनोपॉली पर अब्जेक्शनस खड़े होने लगे थे इसके अलावा
एप्पल ने माइक्रोसॉफ्ट पर ये मुकदमा भी ठोक रखा था की माइक्रोसॉफ्ट ने उसके मैक
ओसके लुक और फ़ील को कॉपी किया है इन सारे मामलों के बीच माइक्रोसॉफ्ट की इमेज पर
बुरा असर पड़ रहा था ऐसे मे जब स्टीव जॉब्स ने बिल गेट्स से हेल्प मांगी तो बिल
गेट्स को अपनी इमेज सुधारने का एक अच्छा मौका मिल गया क्यूंकी अपने स्ट्रॉंग कॉम्पटीटर
को डूबने से बचाना माइक्रोसॉफ्ट की इमेज को बेहतर बना सकता था और ऐसा हुआ भी
एप्पल को बचाने से माइक्रोसॉफ्ट लगे
मुकदमे हट गए और उसकी मार्केट इमेज काफी इम्प्रूव हो गई जो एक कंपनी के सकसेस के
लिए बहुत जरूरी होती है माइक्रोसॉफ्ट की शुरुवात करने से ले कर के उसके बहुत सारे UP
and Down देखने और चैलेज का सामना करने के बाद
2000 मे बिल गेट्स माइक्रोसॉफ्ट की co की पज़िशन से हट गए लेकिन 2020 तक बोर्ड मेम्बर बने
रहे उन्होंने अपनी वाइफ के साथ मिल कर के बिल एण्ड मेलिंद फाउंडेशन शुरू कर लिया
ताकि पूरी दुनिया की सोशल एजुकेशन और हेल्थ इसुएस के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी
कर सके
बिल गेट्स माइक्रोसॉफ्ट के एक
सकेससफुल फाउन्डर और co रहे लेकिन उनसे भी मिसटेकस तो हुई जैसी की उनकी
फर्स्ट कंपनी ट्रापो डाटा कुछ खास कमाल नहीं कर पाई तो लेडिंग सर्च इंजन बना सकते
थे लेकिन उन्होंने ये मौका गूगल के पास जाने दिया उन्होंने एप्पल को बचाने के लिए
उसमे इनवेस्टमेंट किया और आज एप्पल माइक्रोसॉफ्ट से बड़ी बन गई है उन्होंने इंटरनेट
की पावर को पहचानने ने देर कर दी और बाकी की कॉम्पनीस को माइक्रोसॉफ्ट से आगे बढ़
जाने दिया लेकिन जैसा की खुद बिल गेट्स ने कहा है की सक्सेस को सेलिब्रेट करना अच्छी
बात है लेकिन फेलियर की सीख पर ध्यान देना ज्यादा इम्पॉर्टन्ट होता है
वैसा ही कुछ माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने भी
टाइम टाइम पे किया है यानि अपनी सुकेसस को विंडोज़ ऑफिस x बॉक्स ऑफिस 365 और Azure
Cloud प्लेटफॉर्म के जरिए सेलिब्रेट भी किया तो माइक्रोसॉफ्ट किन बाब वन पॉइंट
ज़ीरो विंडोज़ फोनएस ज़ोन प्लेयर और विंडोज़ विस्टा प्रोडक्टस के रूप मे मिली failures को भी सुधारने पर लगातार काम किया तभी तो ये
कंपनी आज भी टॉप टेक कॉम्पनीस मे शामिल है
बिल गेट्स के बाद स्टीव एंथोनी वॉलमेर
ने कंपनी को ऊंचाइयों तक पहुचाने का काम किया जो 2000 से 2014 तक माइक्रोसॉफ्ट के CO रहे वॉलमेर को 1980 मे बिल
गेट्स ने ही हायर किया था जो 1998 मे यानि की 1998 मे
प्रेसीडेंट बने और 2000 मे CO बने
वॉलबर ने माइक्रोसॉफ्ट मे जो
कान्ट्रब्यूशन दिया उसकी बदौलत कंपनी की सेल तिगुनी हो गई और प्रॉफ़िट दो गुना हो
गया लेकिन वॉलमेर को माइक्रोसॉफ्ट की कोर पीसी सॉफ्टवेयर विंडो और ऑफिस पर बहुत ज्यादा फोकस करने के लिए क्रिटिसिज़म भी
मिला
इसके अलावा सुकेससफुल सॉफ्टवेयर कंपनी
को डिवाइस मैन्यफैक्चरर मे बदलने के लिए भी उन्हे काफी ज्यादा कृतिकिसे किया गया
और खुद वलमेर ने माना की उनके सारे डिसिशन तो सही नहीं थे लेकिन उनकी ओवरॉल परफॉर्मेंस
तो अच्छी रही और co के तौर पर उनके ऐसे
ही कुछ achievement मे 2001 मे माइक्रोसॉफ्ट टेक बॉक्स को
रिलीज करना था और कुछ failures मे माइक्रोसॉफ्ट को नोकिया के
साथ डील करना था
नोकिया और माइक्रोसॉफ्ट
साल 2012 मे तो माइक्रोसॉफ्ट ने अपना
पहला सर्फिस टैबलेट जारी करके कंप्युटर हार्डवेयर बाजार मे एंटरी ली और साल 2013 मे नोकिया कंपनी के साथ डील कर ली जो कि एप्पल के
किस्से की तरह बिसनेस्स की दुनिया मे काफी चर्चा मे रही माइक्रोसॉफ्ट ने नोकिया को
acquire किया ताकि फीचर फोन के एमेरगिनग मार्केट मे अपनी
प्रेज़न्स भी बिल्ड कर सके नोकिया के जरिए कन्सूमर को अट्रैक्ट कर सके और यूजर्स को
विंडोज़ बेस्ड डिवाइस पर शिफ्ट किया जा सके लेकिन माइक्रोसॉफ्ट ये नहीं सोच पाया की
शऊमी हवाई और बहुत से समाल प्रडूसर बजट प्राइस मे ऐन्ड्रॉइड स्मार्ट फोनस तैयार कर
देंगे और जब नोकिया फीचर फोन और बजट फ़्रेंडली स्मार्ट फोन के बीच मे कॉम्परिजन
होगा तो यूजर बजट फ़्रेंडली फोन को ही use करेंगे और ऐसा हुआ
भी और इसकी वजह से माइक्रोसॉफ्ट काफी पीछे छूट गया मार्केट शेयर गिर गया और
माइक्रोसॉफ्ट को अपना एंट्री लेवल फोन बिजनेस 350 मिलियन डॉलर पर बेचना पड़ गया और
नोकिया मोबाइल फोन बिजनेस को 7.2 मिलियन डॉलर मे aquier करने की इस कंपनी की सबसे
बड़ी गलती मे शामिल हो गया
लेकिन अपनी मिस्टैक को इम्प्रूव करते
हुए माइक्रोसॉफ्ट ने फिर से साल दो हजार उन्नीस मे नोकिया से पार्ट्नर्शिप की और
इस बार पार्ट्नर्शिप का पर्पस क्लाउड आर्टफिशल इन्टेलिजन्स और इंटरनेट ऑफ थिनक्स
यानि IOT इंडस्ट्रीज़ मे transformation और innovation लाना रहा साल 2014 मे वलमेर ने
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी छोड़ दी और
सत्या नडेला के द्वारा किये गए कार्य
तब साल 2014 मे सत्या नडेला माइक्रोसॉफ्ट के co बने जो 1992 से कंपनी से जुड़े थे वैसे तो नडेला प्रोफ़ेसोनल क्रिकेटर बनना चाहते थे
लेकिन माइक्रोसॉफ्ट के co बनकर उन्होंने टेक्नॉलजी की पिच पर
ऐसे शानदार शॉट्स लगाए की माइक्रोसॉफ्ट कंपनी फिर से टॉप position मे अपनी जगह बना पाई
कंपनी के co के तौर पर नडेला पर ये प्रेशर बना रहा की वी
माइक्रोसॉफ्ट को फिर से मोस्ट डामनन्ट टेक्नॉलजी कंपनी मे शामिल करवाए और नडेला ने
ऐसा कर दिखाया इसके लिए उन्होंने फ्यूचर बिसनेस्स क्लाउड कम्प्यूटिंग मे फंड्ज
लगाया और उससे बिल्ड किया
नडेला ने क्लाउड कम्प्यूटिंग ग्रोइंग
बिसनेस्स मे ज्यादा इनवेस्टमेंट किया और लिंकदिङ और गितहुब जैसी कंपनी को अकककुआइरे
भी कर लिया आज माइक्रोसॉफ्ट का अशुर क्लाउड कम्प्यूटिंग सिस्टम मार्केट मे सालिड percentage रखता है और सेकंड पज़िशन पर बना हुआ है जब की
फर्स्ट पज़िशन पर ऐमज़ान वेब सर्विसेज़ ने अपनी पकड़ बना के रखी है
निष्कर्ष
तो दोस्तों आज भले ही माइक्रोसॉफ्ट
अपने फ़ौनदिङ फटहर्स यानि बिल गेट्स और पॉल एलेन के साथ नहीं है लेकिन फिर भी कंपनी
का फ्यूचर ब्राइट नजर आ रहा है जिसकी वैल्यू वन ट्रिल्यन डॉलर से भी ज्यादा है इस
कंपनी को शुरू करने के पीछे बिल गेट्स और पॉल एलेन जो भो ऐम्बिशस गोल सेट किया था
यानि की हर डेस्क और हर घर मे पर्सनल एक पीसी को जगह दिलाना वो गोल बहुत बड़े लेवल
पर अचीव होता हुआ भी नजर आया है क्यूंकी आज वन बिलियन से भी ज्यादा पर्सनल
कॉमपुटर्स बिसनेस्स घरों मे उसे हो रहे है
इसका मतलब हुआ की सपने सच तो होते है मेहनत रंग तो लाती है लेकिन रिस्क लेने की हिम्मत करो अपने डर से जीतो सुकेसस को सेलेबेरते करने के साथ साथ फलिउरे से सीख कर आगे भी बढ़ते रहो और हाँ बदलाव का खुले दिल से स्वागत करो
तो दोस्तों आपको माइक्रोसॉफ्ट की ये केस स्टडी कैसी लगी हमे
कमेन्ट बॉक्स मे लिख कर जरूर बताइएगा ताकि हमे पता चल सके की आप आगे भी ऐसी केस
स्टडी देखना चाहते है या नहीं और अगर ये माइक्रोसॉफ्ट की शुरुवात कैसे हुई || How did Microsoft get started || Case Study आपको अच्छा लगा हो तो इसे लाइक और
शेयर करें और अगर आप पहली बार इस वेबसाइट पर आए है तो क्विक सपोर्ट को सबस्क्राइब
करके बेल आइकान को दबाइए
ताकि ज्यादा से ज्यादा दोस्तों के
जुडने से हमारी मेहनत भी रंग ला सके और आपके knowledge भी इतनी इम्प्रूव होती चली जाए की आपको बहुत जल्दी जल्दी प्रग्रेस मिलती
जाए तो जुड़े रहिए Hindipidiaa के साथ धन्यवाद