जौनपुर का इतिहास और रोचक बाते
सड़क पर अगर कोई चलती गाड़ी में UP 62 लिखा दिखाई दे तो आप समझ जाइये की ये गाडी जौनपुर की है वही जौनपुर जिसका प्राचीन इतिहास और पौराणिक महत्व बनारस के पर्यटकों को 60 किमी दूर यहा आने पर विवश कर देती है वैसे में आज हम आपको जौनपुर का इतिहास और रोचक बाते आपको बतायेगे
जौनपुर कंहाँ है
उत्तर प्रदेश का एक जिला है जौनपुर यह प्रतापगढ़, प्रयागराज, गाजीपुर, भदोही, वाराणसी, आजमगढ़ और सुल्तानपुर से घिरा जौनपुर जनपद गोमती नदी के किनारे बसा है प्रतापगढ़ से बहने वाली सई नदी और और सुल्तानपुर से बहने वाली गोमती नदी दोनों जौनपुर आकर आपस में मिल जाती है |
जौनपुर की भाषा क्या है
हिंदी, उर्दू, भोजपुरी, अवधि एवं अंग्रेजी भाषा जौनपुर में बोली जाती है
जौनपुर का क्षेत्रफल एवं जनसँख्या
इस जिले का क्षेत्रफल 4038 वर्ग किलोमीटर का है यहाँ की जनसँख्या 2011 में हुए जनगणना के आधार के आधार पर लगभग 45 लाख थी यानी उत्तर प्रदेश की 20 करोड़ की आबादी में से प्रत्येक 44 में से 1 आदमी जौनपुर में रहता है यानी राज्य की पूरी आबादी का 2.2% जनपद के हिसाब से प्रति व्यक्ति 902 मी यानी 98 फुट लम्बा चौड़ा भू भाग आता है |
जौनपुर में कौन से धर्म के लोग रहते है
धार्मिक दृष्टिकोण से लगभग 63% हिन्दू 33% मुस्लिम और बाकी का 4% में सिख, इसाई, जैन. बुद्धिस्ट आदि धर्म के लोग यहा निवास करते है
जौनपुर उत्तर प्रदेश का सबसे लिंगानुपात वाला जिला है यहा प्रत्येक 1000 लडको में 24 लड़की अधिक जन्म लेती है
जौनपुर का इतिहास
पौराणिक मानता के अनुसार भगवान परशुराम के पिता जगद्म्न की तपोभूमी एव परशुराम की जन्मस्थली रही है जौनपुर आज के जौनपुर को पौराणिक काल में ज्म्दाग्न्पुरा के नाम से विख्यात था
मध्य इतिहास काल में जौनपुर को यवनपुर के नाम से जाना जाता था उस समय कन्नोज के राजा विजयचंद्र एवं उनके पुत्र जयचंद का इस पर अधिपत्य रहा ये वही जयचन्द्र थे जिनकी पुत्री संयोजिता का विवाह पृथ्वीराज चौहान के साथ हुआ था इस कालखंड के दो स्मारको का उल्लेख प्राप्त होता है मुकट घाट मंदिर और माँ अतला देवी मंदिर का विशाल मंदिर
जौनपुर का नामकरण कैसे हुआ
सन १३२९ में जब यवनपुर फिरोजशाह तुगलक के अधीन था तभी इसका नाम इसके चहेरे भाई मोहम्म्द बिन तुगलक उर्फ़ जौना खा के नाम पर जौनपुर रखा गया इतिहासकारों के अनुसार फिरोजशाह इस्लाम को मानने वाला एक कट्टर व्यक्ति था उसने अपने शासनकाल में हर वह निर्णय लिया जिसे इस्लाम को मानने वाले लोग और सशक्त हो सके इतिहासविदो के अनुसार फिरोजशाह ने अपने कालखंड में कई मंदिरों को ध्वस्त करने का प्रयास किया जिसके परिणामस्वरूप जौनपुर में मौजूद अटला देवी मंदिर को तोड़कर 18 मस्जिदों में विभक्त कर दिया गया इसी कारण उस मस्जिद पर आज भी हिन्दू मदिर शैली स्पस्ट रूप से दिखाई देती है
जैसे जैसे समय गुजरता गया तुगलक, लोदी एवं मुगलों में हुमायु एवं अकबर के शासनकाल में अटला मस्जिद हिन्दू मुस्लिम का धर्म प्रचारक बन कर उभरा |
फिरोजशाह के मरने के बाद जौनपुर इब्राहीम शाह शार्की के काल में स्वतंत्र हो गया इसी कालखंड में इसने अटाला मस्जिद , झंझरी मस्जिद, शाह का पंजा का निर्माण करवाया |
जौनपुर की ऐतिहासिक धरोहर
अटाला मस्जिद , झंझरी मस्जिद, शाह का पंजा, शाही पुल, लाल दरवाजा, महर्षि यम्दागिनी, काली माता का मदिर, भोलेनाथ का मंदिर, शीतला चौकी मंदिर, मैहर मदिर आदी बहुत से पुरातात्विक स्थल मौजूद है |
जौनपुर में हजारो ऐतिहासिक धरोहर है जो आज भी अपनी सुन्दरता और हजारो वर्षो का इतिहास बया करती है |
तो आज हमने जाना जौनपुर का इतिहास बाकी अर्तिकल कैसा लगा हमे कम्मेंट करके जरुर बताये |
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