कुंडा का इतिहास प्रचीनकाल से वर्तमान काल तक Kunda Ka Itihas

 

कुंडा सम्पूर्ण का इतिहास

आज हम बात करेगे उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की सबसे बड़ी तहसील कुंडा के सम्पूर्ण  इतिहास के बारे में आपको बतायेगे   वैसे कुंडा उत्तर प्रदेश के सियासत में अपनी अलग पहचान रखने वाले बाहुबली विधायक राजा भैया के लिए जाना जाता है लेकिन आज पर कुंडा के वास्तविक इतिहास की तो बात करेगे ही साथ में इसका प्राचीन इतिहास भी जानेगे |


कुंडा का इतिहास
कुंडा का राजभवन 



कुंडा का वास्तविक इतिहास

यह प्रतापगढ़ की 5 तहसीलों में से क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा है समुद्रतल से इसकी उचाई लगभग 9 मी यानी 291 फुट है |

ये  बहुत अधिक प्राचीन शहर नही है क्युकी इसकी स्थापना ब्रिटिश राज में की गई थी लखनऊ इलाहबाद राजमार्ग में इसकी स्थिति इलाहाबद से 55 किलोमीटर पर है|

वैसे तो कुंडा राजा भैया के विधानसभा के रूप में विख्यात है लेकिन कुंडा को प्रतापगढ़ का प्रकितिक ऐतिहासिक एवं धार्मिक सूचक के रूप में भी देखा जा सकता है

चाहे वह महाराजा उदय प्रताप सिंह के संरक्षण में भदरी का ऐतिहासिक किला हो या राजा भैया के संचालन में बेंती का भव्य दुर्ग जहा पर नव निर्मित पंचवटी की भव्यता और उसके आस पास फैली प्रकितिक सुन्दरता जो चुम्बकत्व का मायाजाल रचती है हस्त पुष्ट घोड़े राजसी अदम्यता का आभास कराते है गंगा नदी के शीतल नीर से जलमग्न अनंत विस्तार का भ्रम पैदा करती हुई


कुंडा का इतिहास
कुंडा के भदरी का किला 


बेंती की सौम्य झील आपके मष्तिष्क में शुन्यता का अनुनाद भर देती है | कुंडा एक कृषि प्रधान क्षेत्र है सावन के महीने में यहा की हरियाली आपका मन मोह लेगी | सडक के दोनों तरफ आम के बड़े बड़े बगीचे आपको मध्य प्रदेश में होने का आभास कराते है |

कुंडा के रेलवे स्टेशन से 6.6 किलोमीटर दूर स्थित मनगढ़ का भव्य धाम जगतगुरु कृपालु जी महराज के अध्यात्मिक चिन्तंशिलता का ही परिणाम है की आज मनगढ़  का भव्य मंदिर सम्पूर्ण विश्व में प्रशारित है | कुंडा स्टेशन से 20 किलोमीटर दूर मानिकपुर वैसे तो राजा दिनेश सिंह एवं उनकी पुत्री राजकुमारी रत्ना सिंह के लिए जितना प्रसिद्ध है

उतना ही राजा मानिकचंद्र के लिए भी जाना जाता है राजा मानिकचंद्र का किला आज वक्त के साथ एक टीले में परिवर्तित हो गया है और यही मानिकपुर कभी अलाउद्दीन खिलजी का गढ़ भी माना जाता था कहते है इसने अपनी शुरुआत मानिकपुर से ही की थी स्टेशन से 11 किलोमीटर दूर गंगा नदी के तट पर स्थित है बाबा हौदेश्वर नाथ पुरातन मंदिर इस मंदिर की पौराणिकता ही आज के कुंडा के बनने का हजारो वर्ष का इतिहास बताती है.

कुंडा का प्राचीन इतिहास


कुंडा का इतिहास
कुंडा के हौदेश्वर नाथ का पौराणिक मन्दिर 


कुंडा के स्थानीय लोगो का मानना है की प्राचीन काल में जब माँ गंगा पृथ्वी पर पाप बढ़ने की वजह से धरती छोड़ चुकी थी तब राजा भागीरथ ने उन्हें वापस बुलाने के कुंडा के ही बेंती गाँव में माँ गंगा के किनारे घोर तपस्या की तथा एक भव्य महा यज्ञ किया जिस स्थान पर यज्ञ की बेदी बनाई गई उसे ही आज हम बेंती के नाम से जाना जाने लगा और जिस स्थान पर हवन कुंड बनाया गया उस स्थान को कुंडा कहा जाने लगा |

हालाँकि यह पौराणिक मान्यता है इस बात का कोई प्रमाण नही है |

तो कैसी लगी कुंडा का इतिहास आपको आर्टिकल हमे कम्मेंट करके जरुर बताये और अगला लेख आप किस स्थान का जानना चाहते है ये भी अवश्य बताये |

इन्हें भी जाने 


एक टिप्पणी भेजें

Welcome to Hindipidiaa.Online

और नया पुराने