रानी रूपवती बाज बहादुर की ऐतिहासिक प्रेम कहानी, hindipidiaa.online

 

रानी रूपवती और बाज बहादुर की प्रेम कहानी

    आज इस लेख में हम बात करेगे इतिहास की एक गुमनाम दस्ता बाज बहादुर और रानी रूपवती की प्रेम कहानी यह भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी अमर प्रेम कहानियो में से एक है

     

    रानी रूपवती बाज बहादुर
    रानी रूपवती बाज बहादुर की ऐतिहासिक प्रेम कहानी



    source : https://wahgazab.com/

    बाज बहादुर के राज्य का  इतिहास 

    मालवा के कमजोर राज्य था जोकि हुमांयू के शासनकाल में मुगलों के ही अधीन था

    लेकिन शेरशाह सुरी के बादशाह बनते ही मालवा को दास्ता से मुक्त कर दिया

    यहाँ का राजा सुर वंश का राजा सुजात खान था  इसके मरने के बाद मालवा के गद्दी पर इसका पुत्र बाज बहादुर बैठा

    मालवा अपने चारो तरफ दुश्मनों से घिरा था और सबसे कमजोर भी था

    गोलकुंडा की रानी दुर्गावती ने बाजबहादुर को कई बार युद्ध में हराया था और बाजबहादुर थक हारकर

    इसने भी राज्य विस्तार करने की आशा को त्याग दिया

    मालवा की भूमि उपजाऊ थी और इसलिए धन की कमी नही थी

    वह सारा दिन नाच गाने में मस्त रहता था उसका हरम सुदंर नर्तकियो से भरा हुआ था

    अकबर के आक्रमण करने का कारण 

    इसकी पत्नी था रानी रूपवती जो गजब की खुबसुरत लाजवाब गायिका बेमिसाल नर्तकी थी

    इसकी खूबसूरती के चर्चे अकबर के दरबार में भी होने लगे और

    अकबर ने रानी रूपवती को पाने की इक्षा प्रकट की

    अकबर ने सम्राज्य विस्तार के बहाने बिना किसी सुचना के मालवा पर चढ़ाई कर दिया

    सेना का कमान आदम खा के हाथ में था जो बहुत ही क्रूर था

    बाज बहादुर ने युद्ध टालने की बहुत कोशिश की कहा

    अगर संधि सम्मानजनक मिल जाये तो हम आत्मसमर्पण करने की तैयार है

    लेकिन अकबर को उसके राज्य से नही उसके रानी से मतलब था इसलिए अकबर ने एक न सुनी

    अतः बाज बहादुर ने भी अपनी सेना इकठ्ठा करनी शुरू की उसे पता था की जीत तो होनी नही है  इसलिए अपने हरम की औरतो को जौहर करने के लिए सैनिक नियुक किया और 29 मार्च 1561 मुगल और बाजबहादुर की सेना आपस में भिड़ी और यह युद्ध शेर और बकरी की थी मात्र एक घंटे में फैसला हो गया बाज बहादुर जान बचाके भाग निकला और मुगल फ़ौज सारंगपुर पहुची और हरम रक्षको में भगदड़ मच गई और उन्हें औरतो का क़त्ल करने का मौका नही मिला किन्तु रानी रूपवती पर एक तलवार से वार किया जिससे वह घायल हो गई और हरम की सभी बेगमो और रानी रूपवती को आदम खान ने कब्जे में ले लिया और मालवा में चाहे हिन्दू हो या मुसलमान पुरुषो और बच्चे को भेंड़ बकरी की तरह काटता रहा

    और सभी घरो की सुन्दर महिलाओ को घसीट घसीट कर महल में इकठ्ठा किया जाने लगा

    जैसे ही रूपवती को होश आया तो उसे पता चला की उसको अकबर अकबर की रखैल बनना पड़ेगा

    उसने अपनी हीरे की अंगूठी खाकर अपनी जान दे दी

    जब रानी की मौत की खबर अकबर तक पहुची तो उसे काफी दुःख हुआ

     

    अंतिम समय में जब बाज बहादुर को पता चला तो उसने रानी रूपवती के मजार पर सर पटक पटक कर अपनी जान देदी

    बाज बहादुर और रानी रूपवती का मकबरा कहा है 

    औए 1568 ने सारंगपुर में इनके मकबरे का निर्माण कराया जिसका नाम रखा गया आशिक ए सादिक और शहीद ए वफ़ा की उपाधि से सम्मानीत किया

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